जब पुरुष स्त्री पर हावी होने लगता है ...तो ये सम्बन्ध या तो हमेशा पीड़ा देते है या तो टूट जातें हैं.................... तकलीफ ...दर्द आंसू ...जुदा नहीं हैं ....सब साथ हैं.... भटकन ..है ...ढहाने वाली.... और तडपन है ...चैन न लेने देने वाली ....!
समझ सकते हैं जो आप नहीं कहते हैं ... केवल प्यार और संभालना सम्मान और किसी के लिए खुद को भूल तक जाने जैसा कुछ ही आधार होता है रिश्ते का ... देखिये ज़रा ... घने काले बादल के पीछे रोशनी वैसी ही है जैसी आपको अश्ही लगती है ... मासूनियत और सुच्चापन भी साफ़ नज़र आ रहा है ... किसी के हाथ में अलादीन कचिराग भी है ... देखिये तो ... प्यार और आशीर्वाद ...
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समझ सकते हैं जो आप नहीं कहते हैं ... केवल प्यार और संभालना सम्मान और किसी के लिए खुद को भूल तक जाने जैसा कुछ ही आधार होता है रिश्ते का ... देखिये ज़रा ... घने काले बादल के पीछे रोशनी वैसी ही है जैसी आपको अश्ही लगती है ... मासूनियत और सुच्चापन भी साफ़ नज़र आ रहा है ... किसी के हाथ में अलादीन कचिराग भी है ... देखिये तो ... प्यार और आशीर्वाद ...
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