Thursday, April 21, 2011


.....दुःख और विषादों की गहरी सी लकीर बनकर तुम्हारे चहेरे पर नजर आते है हम !......वो सुगबुगाहट ....थी जो प्यारे लम्हों की कहीं दफन सी हो गयी है...... और जलते हुए लोबान की महक ...मन को चीरती जा रही है .....! सच कहते हो ...आप .....अपने अंदर झांक कर देखो ....तडप होगी तो वहाँ नजर आयेगी ....! कुछ बातें  बहलाने के लिए नहीं कही जाती  ......पर ये सच है..... समय के साथ कुछ यादें तो धुंधली पड़ जाती है ....पर कुछ बातों की सांसें चलती हुई सी महसूस होती है ...जिन पर .....जिन्दा रहती है कुछ उम्मीदें....

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