Sunday, March 27, 2011

जब प्यार.....एक दुखद अतीत बन जाता है तो अतीत के वे यादगार पल अक्सर याद आते है.......
प्यार का कोई ओर और छोर नहीं होता .... कोई तय राह नहीं होती ...प्यार  की कोई थाह नहीं .... कोई साहिल नहीं...और कोई मंजिल नहीं होती ..... प्यार का कोई अंत नहीं..ये तो अनंत है...सतत...अनवरत.... निश्चल .... पल.... पल प्रवाहित ..! प्यार.... प्यार..... प्यार....
जब जान  से भी प्यारा प्रिय दिल के आस पास हो ...तो प्यार सुखद लगता है....और खिलते जाते गुलमोहर..अमलतास..और साथ ही टेसू के रंग बिरंगे महकते हुए फूल .... वो समय ऐसा होता है जिसमे हर पल जीत ही जीत नजर आती है.... और जब मन का मीत दिल से दूर बहुत दूर चला जाता है.... तो दर्पण टूट जाते है ...चारों ओर फैली  किरचें लहूलुहान करती है...और  वही प्यार पीड़ा देने लगता है.....

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